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नंगे पाँव कहीं !!!!!!
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"नंगे पाँव कहीं !!!!!!" "नंगे पाँव बैठे हैं कहीं वो, मन को छुपाये दिल को दबाये, इक टकटकी लगाए..... कोई आएगा शायद ! डरे मन पर प्यार का मरहम लगानें कोई आएगा शायद ! वो मरा बचपन जगानें इन्द्रधनुषिया रंग बिखराए, डरी साँसों को आज़ादी का एहसास दिलाये........आएगा शायद !!!!!! " पलकें ऐसी बोझिल तो नां थी, जब आया था संसार में, रोया था तब मैं मगर ,उसमें कुछ अलग ही आजादी थी.... मन तड़पता है अब कि.. कैसे रोवुं खुल के अब, कैसे सोवूं मस्त झपकी ले कर, अब तो माँ सा हाथ भी बालों को फुसलाता नहीं, और मन मेरा सोना चाहता नहीं............... क्या करू अब .................आएगा शायद कोई दबे पाँव और मुझे अपना कहेगा... ...